Monday, 14 November 2011

" भारत बदल रहा है "

                      " भारत बदल रहा है "
लेखक: आलोक कुमार सिंह 
शीर्षक देख के कही आपने  यह तो नहीं सोच लिया की सरकार लोकपाल  के लिए मान गयी ,या फिर अब पेट्रोल और डीजल  के दाम नहीं बढ़ेंगे ,या फिर सरकारी स्कूलों में नियुक्त शिक्षक अब समय पर स्कूल आयेंगे ,या फिर किसी सरकारी दफ्तर का बाबू  अब रिश्वत नहीं लेगा या फिर कुछ और जिसकी आप आस लगाये बैठे थे |ऐसा कदापि न सोचियेगा क्यूंकि जब तक आम जनता की सोच नहीं बदलेगी तब तक ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला  है  |मै आपके समक्ष एक ऐसी  ही घटना का जिक्र करने जा रहा हूँ ,जहा मुझे लगा की हाँ - अब भारत बदल रहा है |
            अभी मै महानगर बस सेवा की एक बस में बैठा ही था की तभी  परिचालक महोदय ने मेरे पास आकार मुझसे टिकेट के पैसो की मांग कर दी |मै अपनी जेब से पैसे निकालते हुए ये सोचकर बड़ा खुश था की चलो कोई तो है जो अपना  काम ईमानदारी के साथ कर रहा है |
          अभी थोड़ी देर ही हुआ होगा की एक मेरे ही उम्र का  लड़का बस में चढ़ा| परिचालक ने फिर वही प्रक्रिया दुहरायी , मगर इस बार लड़के ने २० रु . देने की बजाय १० का नोट पकडते हुए बोल दिया " टिकट मत बनाना "| मुझे लग रहा था की  परिचालक मेरे विश्वास को नही  तोड़ेगा मगर ये क्या, अरे उसने तो १० का नोट जेब में डालकर अपने दांत दिखा दिए |दूसरों के गलती करने पर खुद को इतना निरीह और असहाय, आदमी खुद को भारत में ही महसूस कर सकता है |
                    अभी मै इस सदमे से उभर भी नही पाया था की  मेरी बगल वाली सीट पर बातों की जंग छिड़  गयी |उनमे से एक व्यक्ति जिसने सफ़ेद कुरता,पायजामा और गमछा डाल रखा था ने अपने लाल लाल दांतों को दिखाते हुए कहा " ई मर्दवा अब पर्धनियो (ग्राम प्रधान ) में मजा नाहीं रह गईल ४-५ लाख खर्चा करा तब जाके ५ साल में २० लाख रूपया कमा ,उधर फजीहत  उप्पर से |इधर मेरे मन में जो सवाल उठ रहा था की ४-५ लाख कैसे खर्च हो जाते है ,शायद उनके बगल वाला भी उसी से परेशान  था क्यूंकि दूसरा पहलू २० लाख कमाने वाला तो सबको पता है की आराम से हो सकता है | आख़िरकार वो पूछ  बैठा " अरे भैया ४-५ लाख कैसे खर्च हो जा ला ???"
"अरे भैया जवन चुनउआ भर सबके  घरे दारु मुर्गा भेज  के पड़ला ओकर का , जेकरे पास मोबाइल नहीं बा ओके मोबाइल चाही , औरो बहुत कुछ बा|"
ये सब सुनने  के बाद मेरे दिमाग में बस एक ही बात कौंध रही थी की क्या लोग १०-१५ दिन के दारू  मुर्गे के  लिए अपने आने वाले ५ सालों के  विकास की बली देने में जरा भी नहीं सोचते  |
क्या विकास की बात उनके दिमाग में एक बार भी नहीं आती ??उनकी बातें कुछ और देर सुनाने के  बाद मै अपने मोबाइल से गाने सुनने लगा |
कुछ देर बाद ही  बस गंतव्यस्थल  पर पहुँच गयी |बस से निचे उतारकर मैंने सामने लगे बोर्ड को पढ़ा  " वाराणसी बस सेवा " |
वह से कुछ दूर चलने के बाद मै  मानस मंदिर  जाने वाले ऑटोरिक्शा  की तलाश करने लगा, एक साथ दो मिल गए , एक रिक्शे का ड्राईवर जो की १७ -१८  साल का एक लड़का था , उससे किराया पूछा ? "३० रु." मैंने भी शुरू से ही मोल भाव सीख रखा था सो तपाक से बोला  "२० में चलना है तो चलो " आख़िरकार वो २५ में तैयार हो गया |मै रिक्शे में  बैठ गया  और वो चलने लगा |कुछ दूर जाने के पश्चात एक लड़की जिसकी उम्र करीब १९-२० रही होगी , मेरे बगल में आकर  बैठ गई |
     थोड़ी दूर जाने के पश्चात ऑटो वाला मुझसे पहला प्रश्न पूछ बैठा  "ये  IIT-JEE की परीक्षा बड़ी कठिन होती है न ?"
मैंने सोचा इसको IIT से क्या मतलब  ,मैंने कहा हां होती तो है|
वो बोला अरे वही 'JOINT ENTRANCE EXAM' |  मै सोच रहा था की जो बहुत से पढ़े लिखे लोगो को नहीं  पता वो ये ऑटोवाला बता रहा है, मैंने कहा हां  हां वही यार |
दूसरा सवाल " ये  IET ,lucknow कैसा कॉलेज है ?"
मैंने कहा ठीक है ,मतलब अच्छी है |
उसने  पूछा "आप क्या करते हो ?"
मैंने कहा B-tech कर रहा हू ,NIT से|
वो मेरी तरफ देखने लगा और बोला - "वो aieee वाला ?"
मैंने फिर से हाँ बोल दिया अब फिर से उसकी बारी  थी -मै iit की तैय्यारी कर रहा हू मै अवाक् था और चुप चाप  उसकी तरफ देख रहा था |
लो फिर से एक सवाल "अच्छा ये बताइए की जब मेंडलीव  ने पिरियाडिक टेबल बनाया तो उसमे कितने तत्व थे ?
मैंने कहा शायद ६० या ६५ ,कन्फर्म पता नहीं  उसने उत्तर दिया  ६३ |
मै चुप चाप उसकी तरफ देख रहा था और मेरे बगल में बैठी लड़की हँस रही थी , शायद मेरे ऊपर |
लीजिए एक और सवाल " newtons second law of motion  बताइए ?"
मैंने  ये दिखाने की कोशिश में की मै भी कुछ कम नहीं  और  तुरंत बोला F = ma "
लो वो ये क्या बोल पड़ा, जिसका मुझे डर था - की भौतिक विज्ञानं में फार्मूला से काम नहीं चलता पूरा बताइए  की " force is directly proportional to  rate of change of momentum"
मेरे बगल में बैठी लड़की  ठहाके लगाने लगी | मुझे थोडा  बुरा तो लग रहा था पर मन ही मन प्रसन्नता  भी हो रही थी की  चलो कोई तो है जो भारत को बदल रहा है |
हम मानस  मंदिर पहुँच चुके थे, मेरे निचे उतारते ही उसने मुझसे हाथ मिलाया और बोला " आपसे मिलकर बड़ी प्रसन्नता हुई |"
मैंने उसको ५० का नोट पकडते हुए बोला " मुझे भी|"
 उसने उसमे से मुझे ३० रुपये लौटा दिए , मैंने कहा अरे यार ५ और लेना है न , उसने बोला नहीं भैया आप से मिलकर बहुत खुशी हुई ,इस खुसी में ५ रुपये का कोई मोल नहीं |
 मैंने उससे पुछा तुम पढते कब हो ?? उसने बोला रात को , दिनभर ऑटो चलता हू और रात को पढता हूँ |
 मैंने उससे हाथ मिलाया और मंदिर की तरफ चल पड़ा , मुझे उसको गले लगाने का मन कर रहा था , पर अब वो जा चुका था ,शायद अपनी  माँ के लिए रोटी के पैसे जुटाने या अपनी बहन  के लिए एक चोकलेट के  पैसे जुटाने |
मै  खुश था की मैंने  उसमें  बदलते भारत की एक छवि देखि थी |


1 comment: