"पहला प्यार"
कवि : जीतेन्द्र गुप्ता
बारिश की बूंदों सा ,
सावन के झूलों सा , बसंत की हरियाली सा ,
सूरज की लाली सा , दोस्तों की गाली सा ,
कोयल की बोली सा
मिठास देता है पहला प्यार|
दुःख में खुशहाली का , घर में घरवाली का ,
सर्दी में गर्माहट का ,माँ की बडबडाहट का ,
धुप में छाँव का ,
डूबते को नाव का एहसास देता है पहला प्यार|
ठंडी हवा का झोंका है ,सोचो तो अनोखा है ,
गरमा-गरम समोसा है ,साऊथ का डोसा है ,
दिल की धडकन है
मछली की तड़पन है पहला प्यार |
हँसते को रुलाता है,दिल में टीस जगाता है,
अपनों से लड़वाता है ,दोस्तों से बिछड़वाता है,
न जीने न मरने देता है मुझे ये मेरा पहला प्यार|
कवि : जीतेन्द्र गुप्ता
बारिश की बूंदों सा ,
सावन के झूलों सा , बसंत की हरियाली सा ,
सूरज की लाली सा , दोस्तों की गाली सा ,
कोयल की बोली सा
मिठास देता है पहला प्यार|
दुःख में खुशहाली का , घर में घरवाली का ,
सर्दी में गर्माहट का ,माँ की बडबडाहट का ,
धुप में छाँव का ,
डूबते को नाव का एहसास देता है पहला प्यार|
ठंडी हवा का झोंका है ,सोचो तो अनोखा है ,
गरमा-गरम समोसा है ,साऊथ का डोसा है ,
दिल की धडकन है
मछली की तड़पन है पहला प्यार |
हँसते को रुलाता है,दिल में टीस जगाता है,
अपनों से लड़वाता है ,दोस्तों से बिछड़वाता है,
न जीने न मरने देता है मुझे ये मेरा पहला प्यार|
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