Tuesday, 22 November 2011

"जानू" एक व्यंग कथा

"जानू" एक व्यंग कथा 
व्यंगकार - मोहित पाण्डेय "ओम"

बड़े लोग कहते है की खाना खाने के बाद थोडा टहलना चाहिए इससे पाचन क्रिया सुचारू रूप से चालित होती है |और वैसे भी मेरे लिए ये अति आवश्यक हो गया था  ,बात तब की है जब मै कानपुर में रहकर अध्ययन रत था |उस समय हॉस्टल के खाने की अपच से बचने का एक मात्र सर्वोत्तम तरीका था रात्रि में खाने के बाद टहलना |
               आदतन आज भी रात का खाना खाने के बाद मै अपने कुछ दोस्तों के साथ हॉस्टल से घुमने के लिए निकला |हम लोग अक्सर बड़े हनुमान जी के बगल वाले रास्ते से होते हुए गर्ल्स हॉस्टल वाले रास्ते में घूमना ज्यादा पसंद करते थे |मेरे कुछ अजीज दोस्तों का मानना है की इस रास्ते में चलने से एक शांति का अनुभव होता है |मेरा मतलब शांति न की शांति नाम की कोई लड़की वैसे भी हमारे महानगर में शाम ७ बजे के बाद लडकियों का घर तथा हॉस्टल से निकलना प्रतिबंधित है |
                हो सकता है ऐसा उनकी सुरक्षा के नजरिये से किया गया हो ताकि रात्रि के अँधेरे में कोई भला मानुष अपना मुह कला न कर बैठे |वैसे शहर में लडकियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम है | फिर भी अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की नजर से यहा पर हर एक लड़की एक या अनेक बॉय-फ्रंड पालकर रखती है |इस बॉय-फ्रंड नाम के जीव को वो जानू कहकर पुकारती है |
               ये जानू उनकी सुरक्षा के अलावा उनकी हर जद्दोजेहद का ख्याल रखता है |वैसे भी जानू नाम के जीव को आप शाम के समय गंगा के किनारे  पर चट्टानों के मध्य देख सकते है |यहा पर आपको तरह तरह  के प्रत्यक्ष अनुभव मिलेंगे |आपने अभी तक सुना होगा दो शरीर और एक आत्मा यानि आत्म मिलन ,लेकिन यहा पर शरीर मिलन होता है |आप दूर से देखेंगे तो फर्क ही नहीं कर पाएंगे की वहा पर दो प्राणी है या केवल एक |प्रेम के जाल  में बंधे दोनों प्राणी एक से हो जाते है|
                अपने दोस्तों में इस 'जानू' नाम के जीव को आप बखूबी देख सकते है |आपका हर एक दोस्त जो जानू है शाम के समय आपके पास कभी नहीं रह सकता है |शाम के कुछ घंटो का अन्तराल उसकी जॉब का गोल्डेन टाइम होता है |इस समय में अनुपस्थित रहने पर उसे जानू नाम से हाथ गवाना पड़ सकता है |और एक बार जानू का ताज गवाने पर उसे दुबारा हासिल करना टेढ़ी खीर है |क्यू की इस प्रतियोगिता वादी युग में जानू बनने का सपना मन में संजोये हुयें लोगो की एक लम्बी कतार लगी रहती है |
                 यहा जानू कोई आसानी से नहीं बन जाता ,जानू बनने के लिए कठिनता भरे कई स्तरों को पर करना पड़ता है इनमे सबसे महज है लक्ष्मी मैया की प्रधानता |अगर आप पर लक्ष्मी प्रसन्न है तो शुरुवाती स्टेप स्किप कर सीधे अंतिम स्टेज पर पहुच सकते है |सबसे ध्यान देने योग्य बात ये है की जानू का ताज हासिल करने के बाद कही आप अपने कर्तब्य से विचलित न हो जाये नहीं तो आपको तुरंत ही जानू ताज से हाथ गवाना पड़ सकता है |

              खैर हम पांचो दोस्त रास्ते से होकर मंदिर से गुजर रहे थे |वैसे भी हम जब फालतू होते है तो स्त्री-विषयक समस्याओं जैसे स्त्री-सशक्तिकरण ,महिला आरक्षण ,समानता का अधिकार और महिला सम्मान , पर बहस जरुर करते है |आज हम महिला सम्मान और समानता के अधिकार पर बहस करते हुए जा रहे थे |बहस के दौरान हम इन विषयो पर इतने ज्यादा उत्तेजित हो जाते है की गाली-गलौज और मार-पीट जैसी सम्भावनाये प्रबल हो जाती है |
             बहस करते-२ हमारी आवाजे काफी उग्र हो चुकी थी |तभी हमने पाया की हमारे आगे कुछ लडकिया जा रही थी बाद में पता चला की वो मेरे ही कॉलेज की थी |बहस काफी आगे बढ़ने के कारण मैंने दोस्तों से तेज चलकर उनसे आगे होने के लिए कहा ताकि हमारे विचारो से उन्हें कोई कष्ट न हो |तभी हमारे एक दोस्त अपना पक्ष रखते हुए बोले "नहीं हम महिलाओं का सम्मान करते है और जो लोग दूसरो का सम्मान करते है वो उनका अनुशरण करते है न की उनसे आगे चलते है" |तभी हमारे दूसरे दोस्त जो कि मदिरा-मय मालूम होते थे अंग्रेजी के कुछ शब्द जड़े "आई रेस्प्क्ट देम दट्स व्हाई आई ऍम फालोविंग देम "| मुझे आज तक समाज में नहीं आया की पीने  के बाद लोग अंग्रेजी क्यों बोलने लगते है |तभी एक दोस्त ने मेरी शंका दूर करते हुए कहा की उसने अंग्रेजी दारू लगाई है न इसीलिए अंग्रेजी बोल रहा है |वैसे मदमस्त होने के विषय में कबीर जी ने कहा है 'मन मस्त हुआ तब क्या बोले' अब वो अंग्रेजी तो बोल नहीं सकते थे क्यों की कबीर जी के जमाने तक अंग्रेज भारत नहीं आये थे हो सकता है तब लोग पीकर संस्कृत या कबीर जी की खिचड़ी भाषा  बोलते हो |
                 खैर अपना इससे कोई वास्ता नहीं अगर ये वैज्ञानिको द्वारा ये सिद्ध हो गया की अंग्रेजी पीने से अंग्रेजी बोल सकते है तो फिर प्रतिदिन २ पेग लगाकर ऑफिस जाना पड़ेगा |
                   मेरे दोस्तों के ऐसे उच्च विचार सुनकर आगे जा रही लडकियों ने चुप्पी  नहीं साधी|उन्होंने भी तुरंत समानता का अधिकार दिखाया| उनमे से एक ने कहा "इन जूनियरो के भाव खराब हो गये है दे डोंट नो हाउ टू बिहैव विद सिनिअर ,रैगिंग शुड नॉट बी बैन्ड इट इज मस्ट" |
                        उनकी अंग्रेजी और तपाक से दिए हुए हुए उत्तरों को सुनकर लगा की वो भी कुछ पेग लगा के आई है |वैसे भी आजकल लडकियों का दारू पीना सामान्य है क्यों की समानता का अधिकार जो उन्हें मिला हुआ है |अभी कुछ दिन पहले मैंने अख़बार में एक खबर पढ़ी थी की छात्रावास में दारू सेवन करती हुयी कुछ छात्राए पकड़ी गयी |खैर दारू पीने का तो आजकल एक फैशन सा चल पड़ा है |वैसे तो दारू के हर एक रैपर पर लिखा होता है दारू पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है अब दारू कंपनियों  को मेरा एक सुझाव है की इसकी जगह लिखना चाहिए ज्यादा दारू पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |
             खैर छोडो ये तो सामाजिक बातें है बाद में भी डिस्कस कर सकते है | आगे बताता हू की दूसरी लड़की का प्रत्युत्तर क्या था -"अरे इनकी रैगिंग नहीं हुयी अभी मै अपने जानू से से काहती हू की आज ही इनकी मास-काल लें मेरा जानू इन्हें बतायेगा की किसकी वाली से इनका पाला पड़ा था ,मेरा जानू मेरा बहुत ध्यान रखता है एक दिन तो मेरी खातिर अपने दोस्त से भी झगड़ गया था " अब ये लोग तो गए | उनकी ऐसी बातें सुनकर लगा की हमने कोई बहुत बड़ी गलती कर दी है अब तो मास-काल होगी और पता नहीं उसका पालतू जानू क्या करेगा हमारा |
             इसी सोच विचार में चिंतित से हम हॉस्टल की तरफ लौट रहे थे |तभी हमारी नजर सामने आते एक अजीब मानव जैसे जीव पर पड़ी वो अपने हाथ हवा में लहरा रहा था मानो अपनी तन्हाई से बात कर रहा हो |जब वो करीब आया तो उसके कान में इअर-फ़ोन था अब हमें पता चला की वो जानू है और अपनी जानी से बात कर रहा है | अचानक अब वो फ़ोन बंद करना चाहता था उसने मोबाइल निकाला और मुह के सामने ले जाकर चुम्बन जैसी प्रतिक्रिया की |मुझे समझ में नहीं आया की वो मोबाइल को चुम्बन क्यों कर रहा था तब एक अन्य दोस्त ने शंका दूर करते  हुए कहा वो तरंग(वेव) चुम्बन कर रहा है जो सिग्नल के माध्यम से जाती है |उसके ऐसे तर्क सुनकर लगा की तब तो जनसँख्या नियंत्रण बहुत ही मुश्किल हो जायेगा ,पता नहीं किसका सिग्नल किसके सिग्नल से ओवर-लैपिंग करके प्रोडक्ट में बदल जाये और सबसे बड़ी बात तो अपना बच्चा पहचानना ही मुश्किल हो जायेगा | ऐसे तार्किक विचारो से हम सब लोग खिल-खिला कर हस रहे थे और भूल गए थे की हॉस्टल पहुचने पर हमारे साथ क्या होने वाला है |

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