Sunday, 20 November 2011

बात एक रात की


बात एक रात की

बीती रात एक लड़की देखी मैंने अपने सपने में,
नयन सुलोचन, चंचल चितवन, मृदु भावो के संगम में |
स्वेत वस्त्र धारण की थी, वो चाल मयूर मनोहर थी,
बहुत परिश्रम हो जायेगा मुझको उसके वर्णन में |

हांथो में वो पुष्प लिए जा रही थी शायद मंदिर में,
मन मंदिर में स्थान बना गयी एक मधुर सी चितवन से |
उसका हर एक कदम मेरे दिल में सीधे समां रहा था,
स्वच्छ-पाक ह्रदय भी शायद किसी की खातिर धड़क रहा था |

नयन नख्श ऐसे की जैसे पूनम का चाँद थी वो,
जुल्फों की गर बात करे तो काले मेघों का झुण्ड थी वो |
मुस्कान तो ऐसे जैसे कि घनघोर घटाओं बिच बिजली,
रूप तो ऐसा जैसे मानो स्वयं कामिनी का मूर्तरूप हो |

मै तो आज सर्वस्व निछावर कर दूं उस चेहरे की खातिर,
बस एक बार मिला दे मौला मुझको उसकी धड़कन से |
मै तो एक अंजान सा प्राणी घूम रहा हूँ मरुथल में,
मन पपीहे को सिंचित कर दे स्वाति की अमृत बूंदों से ||

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