" बेबसी "
कृति : भरत नायक काश की ऐसा होता,जमीन और आसमां एक साथ होते तो तुम और हम साथ साथ होते|
हर बारिश की बूंदें लाती है पैगाम मेरे आने का पर दुःख है मुझे तुमसे नही मिल पाने का.
काश की ऐसा होता,जमीन और आसमां एक साथ होते तो तुम और हम साथ साथ होते|
मेरे सात रंग छूते तेरे नीले नैनों को तो तुम न तरसती मुझसे मिलने को.
सूरज की किरणे करती हैं हर रोज तेरा दीदार पर मैं रह जाता हूं प्यासा हर बार.
काश की ऐसा होता,जमीन और आसमां एक साथ होते तो तुम और हम साथ साथ होते|
जब जब सूरज की किरणे तुम्हें छूती हैं,न जाने क्यों मेरे दिल मैं एक कसक सी उठती हैं.
तब मेरा मायूस मन मेरे दिल को समझाता है,क्यां हुआ रोज तू रोज सागर से नही मिल पाता हैं............क्यां हुआ जो तू रोज सागर से नही मिल पाता हैं....
काश की ऐसा होता,जमीन और आसमां एक साथ होते तो तुम और हम साथ साथ होते|
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