Thursday, 19 January 2012

"देशद्रोही आज के"

"देशद्रोही आज के"
कृति-मोहित पाण्डेय"ओम" (Mohit Pandey)

देखो ये कैसे हालात आ रहे है,
मानव हुए दानव खुद को सता रहे है|
खादी की पैबस्त में देश को लूटा,
अब गाँधी नाम को भी बदनाम कर रहे है|

गाँधी तो वो था जो एक पतलून में रहता था,
पर ये देशद्रोही भ्रष्ट जामा पहन रहे है|
वो महात्मा सत्य-अहिंसा का पुजारी था,
पर ये दुष्ट मजहबी विभाजन करा रहे है|

ठण्ड में ठिठुरता गरीब देश पर रोता है,
कि ये मेरा पैसा स्विस में खुद के नाम कर रहे है|
देश के सिपाही सीमा में जान गवाते है,
जमाई बने कसब जैसे यह मौजे मना रहे है|

हम शान से कहते है देश हमारा है,
लेकिन यहाँ शासन विदेशी चला रहे है|
हम जानते है एक दिन ये देश बेंच देंगे,
फिर भी क्यों उन पर मुहरें लगा रहे है|

आज भी कुछ बिगड़ा नहीं,
सब होशो-हवाश में आओ|
सभी मजहबी मिल कर खड़े हो,
फिर भारत माँ के नारे लगाओ|

सपूत भारती के हममे है दम,
अब देश के दुश्मनों को बताओ|
शिकस्त हार देकर इन्हें,
अपनी मात्र-भूमि से खदेडकर भगाओ|

2 comments:

  1. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है। वर्ड वेरिफीकेशन हटा देँ।

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