कृति-- मोहित पाण्डेय "ओम"
अपनी नजरों में हमको बसा लीजिए,
हमको इतनी बड़ी अब सजा दीजिए |
सब दीवाने तुम्हारे है तो क्या हुआ,
अब तो हमको भी अपना बना लीजिए||
अपने चेहरे से घूँघट हटा दीजिए,
इन काली घटाओं में खुद को समां लीजिए|
इश्क में हम बेहोश तो क्या हुआ.
अपने होंठों से मदिरा पिला दीजिए ||
इन तीखी निगाहों से न क़त्ल कीजिये,
हमसे करके मुहब्बत अपना बना लीजिए|
तेरे इश्क में बदनाम हुए तो क्या हुआ,
अपनी नजरों में हमको बसा लीजिए|
अपने चेहरे से घूँघट हटा दीजिए ||
अपनी नजरों में हमको बसा लीजिए,
हमको इतनी बड़ी अब सजा दीजिए |
सब दीवाने तुम्हारे है तो क्या हुआ,
अब तो हमको भी अपना बना लीजिए||
अपने चेहरे से घूँघट हटा दीजिए,
इन काली घटाओं में खुद को समां लीजिए|
इश्क में हम बेहोश तो क्या हुआ.
अपने होंठों से मदिरा पिला दीजिए ||
इन तीखी निगाहों से न क़त्ल कीजिये,
हमसे करके मुहब्बत अपना बना लीजिए|
तेरे इश्क में बदनाम हुए तो क्या हुआ,
अपनी नजरों में हमको बसा लीजिए|
अपने चेहरे से घूँघट हटा दीजिए ||
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