कृति- मोहित पाण्डेय"ओम "
उन्हें ना रही अब हमसे मुहब्बत,
उन्होंने कहा अब हमें भूल जाओ |
उन्हें ना रही अब हमारी जरुरत,
उन्होंने कहा अब हमें भूल जाओ |
इंतजार कभी अब मत करना,
हमारी बीती दिल्लगी भूल जाओ |
पहले तो दिल में बसाया था उसने,
मगर अब कहा ये शहर छोड़ जाओ |
उन्हें ना रही अब हमसे मुहब्बत,
उन्होंने कहा अब हमें भूल जाओ |
नादान दिल ने उनसे कहा,
पहले हमारी खफा तो बताओ ||
नासमझी से गर भूल हो गयी हो,
तो इतनी बड़ी अब सजा मत सुनाओ|
मर भी ना पाएंगे तेरे हम बिन,
जिन्दा दफन कर ना हमको सताओ ||
उन्हें ना रही अब हमसे मुहब्बत,
उन्होंने कहा अब हमें भूल जाओ ||
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