"मनभावन मौसम"
कृति - रोशन पाण्डेय
भोर हुई भानु ने ली अंगड़ाई,
जग जीवन में उमंग नयी छाई|
हुई भानु की सप्त रश्मियों की बौछार,
रोशन हुआ जग सारा संसार|
निर्मल स्वच्छ गगन में चिड़ियाँ,
कोलाहल या शायद मना रही थी खुशियाँ|
कोयल ने अपना मधुर राग सुनाया,
हारे को जीत भरी आशा का पाठ पढाया|
जैसे हजारो पद एक साथ चल रहे हो,
कमल कुमुदिनी से मंद हास कर रहे हो|
भौरों की नई तान उमड़ी,
खेतों में हरियाली बिखरी|
प्रकृति का यह मनोहर रूप,
पीत आवरण से ढकी धूप|
पतझड़ बीता बसंत आया,
मुझको यह मौसम बहुत भाया|
kya mast chitran kiya h manabhavan mausam ka...
ReplyDeleteha sajeev panktiya likhi hai...
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