Tuesday, 20 December 2011

मनभावन मौसम


"मनभावन मौसम"
कृति - रोशन पाण्डेय  

भोर हुई भानु ने ली अंगड़ाई,
जग जीवन में उमंग नयी छाई|
हुई भानु की सप्त रश्मियों की बौछार,
रोशन हुआ जग सारा संसार|

निर्मल स्वच्छ गगन में चिड़ियाँ,
कोलाहल या शायद मना रही थी खुशियाँ|
कोयल ने अपना मधुर राग सुनाया,
हारे को जीत भरी आशा का पाठ पढाया|

जैसे हजारो पद एक साथ चल रहे हो,
कमल कुमुदिनी से मंद हास कर रहे हो| 
भौरों की नई तान उमड़ी,
खेतों में हरियाली बिखरी|

प्रकृति का यह मनोहर रूप,
पीत आवरण  से ढकी धूप|
पतझड़ बीता बसंत आया,
मुझको यह मौसम बहुत भाया|

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