Wednesday, 21 December 2011

" अरमान "

               " अरमान "
कृति :जीतेन्द्र गुप्ता    

बहुत अरमान संजोये है जिन्हें अब पूरा करना है ,
कर्तव्यों की कसौटी पर अब खरा उतरना है
माँ बाप के चरणों में खुशियों का झरना है ,
बहुत जिद कर चुके हम अब उनकी जिद को पूरा करना है,
बहुत अरमान संजोये है ,जिन्हें अब पूरा करना है |

खुद से किये कुछ वादे है और कुछ अपनों के सपने है ,
उन कसमो वादों सपनो में जीवन के रंग को भरना है,
मानवता की कुछ परिभाषाएं है और देश की कुछ आशाएं है, 
अब देश  की खातिर ही अपना ये जीवन बलिदान करना है  ,
बहुत अरमान संजोये है जिन्हें अब पूरा करना है |

गम के आंधी तूफानों में जो बिछड़ गए है खुशियों से,
जिनके नही है अपने कोई या होकर भी हैं गैरों से ,
उन नादान फरिस्तों के दामन में खुशियाँ भरना है,
बेनूर हो चुकी नजरों में खुशियों का उजाला करना है,
बहुत अरमान संजोये है जिन्हें अब पूरा करना है|

 ये सीख लो चिराग से जलकर रौशनी करना है ,
जीवन के उन  मूल्यों पर कुर्बान ये जीवन करना है,
खुद के लिए तो बहुत जिए अब दूसरों के लिए मारना है,
कर्तव्यों की कसौटी पर अब खरा उतरना है ,
बहुत अरमान संजोये है जिन्हें अब पूरा करना है|

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