अजातशत्रु
(अटल जी के जन्म दिन पर समर्पित मेरी कुछ पंक्तियाँ)
कृति: मोहित पाण्डेय "ओम"
क्रिसमस उन्नीस चौबीस में,
सूर्य तेज अवतीर्ण हुआ|
माँ कृष्णा के अटल लाल से,
सारा भूमंडल उज्जवलित हुआ|
मस्तक की तेज अटल रेखा,
करती थी बयाँ उसकी किस्मत|
सच्चा देश का प्रहरी होगा,
दुश्मन भी होंगे नतमस्तक ||
पिता चाहते थे बैरिस्टर,
कानून अटल सर्वज्ञ हुआ|
अंग्रेजो के जोर जुल्म से,
देश प्रेम उद्भवित हुआ|
माँ भारती की करुण क्रंदन से,
मन में क्षोभ विक्षोभ हुआ|
सर्वस्व सुखो को तज कर,
'भारत छोडो अंग्रेजो' में सम्मिलित हुआ||
जाबांज अटल बलिदानों से,
भारत जब स्वतंत्र हुआ|
पूरा देश खुशी से झूमा,
फिर अटल खुशी से मगन हुआ|
राष्ट्र धर्मं और पांचजन्य का,
संपादन उसने कर डाला|
अमर आग और संकल्प काल,
कविताओ का सृजन कर डाला||
दुश्मन के घर लाहौर में जाकर,
'जंग न हो' का गान किया|
अपने दुश्मन की आँखों में भी,
आंसू लाने को मजबूर किया|
भारत का नायक बनकर,
भारत का उद्धार किया|
सर्व शिक्षा की नीव बनाकर,
ज्ञान दीप प्रज्वलित किया|
देश की खातिर अमर त्याग,
गुण गान हमेशा करता हूँ|
"अजातशत्रु" अटल जी को,
दिल से वंदन अभिनन्दन करता हू ||
(अटल जी के जन्म दिन पर समर्पित मेरी कुछ पंक्तियाँ)
कृति: मोहित पाण्डेय "ओम"
क्रिसमस उन्नीस चौबीस में,
सूर्य तेज अवतीर्ण हुआ|
माँ कृष्णा के अटल लाल से,
सारा भूमंडल उज्जवलित हुआ|
मस्तक की तेज अटल रेखा,
करती थी बयाँ उसकी किस्मत|
सच्चा देश का प्रहरी होगा,
दुश्मन भी होंगे नतमस्तक ||
पिता चाहते थे बैरिस्टर,
कानून अटल सर्वज्ञ हुआ|
अंग्रेजो के जोर जुल्म से,
देश प्रेम उद्भवित हुआ|
माँ भारती की करुण क्रंदन से,
मन में क्षोभ विक्षोभ हुआ|
सर्वस्व सुखो को तज कर,
'भारत छोडो अंग्रेजो' में सम्मिलित हुआ||
जाबांज अटल बलिदानों से,
भारत जब स्वतंत्र हुआ|
पूरा देश खुशी से झूमा,
फिर अटल खुशी से मगन हुआ|
राष्ट्र धर्मं और पांचजन्य का,
संपादन उसने कर डाला|
अमर आग और संकल्प काल,
कविताओ का सृजन कर डाला||
दुश्मन के घर लाहौर में जाकर,
'जंग न हो' का गान किया|
अपने दुश्मन की आँखों में भी,
आंसू लाने को मजबूर किया|
भारत का नायक बनकर,
भारत का उद्धार किया|
सर्व शिक्षा की नीव बनाकर,
ज्ञान दीप प्रज्वलित किया|
देश की खातिर अमर त्याग,
गुण गान हमेशा करता हूँ|
"अजातशत्रु" अटल जी को,
दिल से वंदन अभिनन्दन करता हू ||
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