Monday, 26 December 2011

अनुशाशन या तानाशाही

अनुशाशन  या तानाशाही 

लेखक- रोशन पाण्डेय


कल रात मैंने रा-वन फिल्म देखी जिसकी वजह से सुबह देर तक सोता रहा| घडी में देखा तो सुबह के ८ बजे हुए थे फ़ौरन मैं बिस्तर से उठा,बाहर देखा तो सूर्य की किरणे रक्त-तप्त होती जा रही थी| जल्दी से तैयार होकर मैंने तुरंत अपनी साईकिल उठाई और स्कूल चल पड़ा| मेरे चाचू हमेशा से ही मुझे आत्म-विश्वास और निडर होने की बात करते रहते थे क्यू कि मैं थोडा सा दब्बू किस्म का था| मैं गेट से होकर साईकिल स्टैंड की तरफ बढ़ रहा था,तभी मैंने देखा की मेरा एक सहपाठी गैलरी की पट्टी के पास खड़ा हुआ था| उसका चेहरा क्षोभ से भरा हुआ था| हमारी कक्षा लगने में सिर्फ २ मिनट बाकी थे| मैं जल्दी से दौडकर अपनी कक्षा में गया| मेरा मन अध्ययन में नहीं लग रहा था| बड़ी मुश्किल से ३ घंटे बीते|
चौथे घंटे में मैं चोरी से निकल कर कक्षा से बाहर आ गया| उसे ढूढते हुए काफी वक्त निकल गया,बड़ी मशक्कत के बाद वह मिला| वह अब भी उदास था उसके चेहरे पर एक तरह की उदासी छाई हुयी थी| मैं उसके पास गया एवं उसकी उदासी के बारे में पूछा,अब भी वह शांत बैठा हुआ था| मैंने दुबारा वही प्रश्न किया तो उसने बताया कि यहा के टीचर बच्चो की भावनाओ को नहीं समझते है,उन्हें तो बस अनुशाशन चाहिए| कल मैंने टीचर से एक पज्ज्ल प्रश्न किया तो टीचर ने ये जवाब दिया कि तुम्हे अपने कोर्से से प्रश्न पूछना चाहिए| मैंने बिना सोचे बिचारे फ़ौरन कहा कि क्या आपको आता नहीं ?
उनसे मेरी इसी बात पर बहस हो गयी और उन्होंने मुझे पीट दिया| वह बार-बार नकारात्मक सोच में ही जवाब देते रहे| और फिर उस टीचर ने मुझे क्लास से निष्काषित कर दिया| जब यही बात मेरे बापू के पास पहुची तो उन्होंने कहा कि तुम्हे बड़ों से ऐसे बात नहीं करनी चाहिए| अब तो मेरे अंदर आग सी लग गयी थी| माता-पिता ने मुझको ही दोषी ठहराया,तबसे मैं अंदर ही अंदर घुंट रहा हू| फिर मैंने पूछा कि क्या ऐसी घटनाये पहले भी हो चुकी है|
उसने बताया हा पिछली साल एक सीधा एवं तीव्र दिमाग का लड़का था| उसने भी इसका विरोध किया था| टीचर ने उसे भरी क्लास में जलील किया एवं स्कूल से निकल दिया| तभी से यह के छात्र टीचरो के विरोध में खड़े होने का सहस नहीं कर पाते| मुझे तो यह कि चाहरदीवारी कैद खाने जैसा लगता है| जहा बच्चो के विचारों का तनिक भी महत्त्व नहीं दिया जाता| मुझे ऐसा विचारों वाला पहला विद्यार्थी मिला,मैं उससे बहुत प्रभावित हुआ| मैंने तुरंत ही शिक्षा मंत्री को यहाँ का हाल लिखकर बताया और साथ में लिखा कि तुरंत कार्यवाही हो|

आजकल के सभी स्कूलों में टीचर अपनी मनमानी करते है| उन्हें सबक सिखाने के लिए अन्ना से एक बिल पास करने के लिए कहूँगा|
"अनुशाशन विकाश कि प्रथम सीडी है लेकिन अनुशाशन का उद्देश्य भावों को ठेस पहुंचाना और विचारों को धूमिल करना नहीं है "

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