कृति :: मोहित पाण्डेय"ओम"
१. प्रेम यहाँ सबसे बड़ा, सबसे रखियों प्रेम |
प्रेम में शबरी गृह गए, तज कर राज के नेम ||
२. प्रेम बिना इस जगत में,मोसे रहा न जाय |
प्रेम सुधा कि कुछ बूंदे, ओम को देउ पिलाय ||
३. कलम लेखनी शाश्वत, दुर्लभ साँचो मीत |
मीत गयौ कुछ न रहेउ, बची कलम की प्रीत ||
४. साकी अब तो मान ले, या मनवा कि बात |
जी भर जाम पिलाय दे , जागूँ पूरी रात ||
५. साँस हमारी थम गयी, गयो अँधेरा छाय |
पिया मिलन के वास्ते, यम ने लियो बुलाय ||
६. कलम बेहया हो गयी, बिसरी छवि की नाइ|
किया जिकर मनमीत का, हर महफ़िल में जाइ||
७.छवि ने घोटी भंग जब, मदिरा दियो मिलाय|
१. प्रेम यहाँ सबसे बड़ा, सबसे रखियों प्रेम |
प्रेम में शबरी गृह गए, तज कर राज के नेम ||
२. प्रेम बिना इस जगत में,मोसे रहा न जाय |
प्रेम सुधा कि कुछ बूंदे, ओम को देउ पिलाय ||
३. कलम लेखनी शाश्वत, दुर्लभ साँचो मीत |
मीत गयौ कुछ न रहेउ, बची कलम की प्रीत ||
४. साकी अब तो मान ले, या मनवा कि बात |
जी भर जाम पिलाय दे , जागूँ पूरी रात ||
५. साँस हमारी थम गयी, गयो अँधेरा छाय |
पिया मिलन के वास्ते, यम ने लियो बुलाय ||
६. कलम बेहया हो गयी, बिसरी छवि की नाइ|
किया जिकर मनमीत का, हर महफ़िल में जाइ||
७.छवि ने घोटी भंग जब, मदिरा दियो मिलाय|
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