काश! कुछ पल बटोर लेते,
काश! कुछ पल बटोर लेते,
जहाँ हम रहते थे कभी,
उस जहां कि यादो से,
काश! कुछ पल बटोर लेते|
खुश रहकर भी खुश नहीं है,
जो हम थे वही सही है,
लम्हे जो सामने मुस्करा जाते थे,
उन लम्हों में से,
काश! कुछ पल बटोर लेते|
यादो को साथ लेकर,
नयी यादो के लिए चलना,
थोडा मुस्कराना,
रोकर मन को तसल्ली दिलाना,
दोस्तों के सामने चेहरे पर हंसी लाना,
फिर,
अगले पल ही सोचना कि,
उन बीते लम्हों में से,
काश! कुछ पल बटोर लेते|
-मंटू कुमार
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