गम के सागर में डूबे रहते है,
फिर भी हँसने की कोशिश करते है|
ये जमाना अगर हमसे रूठे भी तो,
हम तो अपने ही जलवे में रहते है ||
उनको नफरत है हमसे तो हम क्या करे,
हम तो अब भी मोहब्बत करते है |
कोई पागल कहे, आवारा कहे,
उनकी गलियों में जाया करते है||
तुम दीवानों की बातें मत करना,
वो तो मर के भी जिन्दा रहते है|
कभी उसने हमें अपना माना था,
हम तो अपनों को दिल में रखते है||
है वो पागल जो गैरो पे मरते है,
हम तो अपनों कि खातिर जीते है|
मेरी आँखों में आँसू रहते है,
फिर भी हँसने की कोशिश करते है||
गम के सागर में डूबे रहते है ...........
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (04-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
वाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteसुंदर रचना...
ReplyDeleteसादर।