Saturday, 4 August 2012

हाइकु, लिखने की एक कोशिश

कृति- मोहित पाण्डेय"ओम"

१. शीशा तोड़ दे ...
ये उनकी अदा है...
जख्म देने की ....


२. तेज धूप है...
सूरज जवान है....
फिर बारिश ....

३. रो रहा होगा..
दिल टूटने पर ...
ये आसमान ....


४. दंगा फसाद...
इंसानियत मरी
नेता का काम .....

५. तू डर गया?
बाजू में दम नहीं ?
है शिकश्त दे....

No comments:

Post a Comment