आखिर क्यों एक दिन उसकी, इस घर से विदाई होती है |
इस घर में ही तो वह, हँसती खिलती पलती है |
फिर क्यूँ उसको अपने घर में रहने कि मनाही होती है
आखिर बेटी ही क्यों पराई होती है?
जब मेरी प्यारी गुडिया, गुड़ियों से खेला करती है |
नासमझ यहाँ की रीतों को, न उनकी विदाई करती है |
फिर रोटी आती है,गले से चिपटकर कहती है |
अब्बा मुझको अपने से, दूर कभी भी मत करना |
अपनी प्यारी बेटी को, इस घर से बाहर मत करना |
---------mohit pandey"om"
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